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पिछले कुछ दिनों में दिल्ली के एक चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू (H5N1) का एक मामला सामने आया था। इसके चलते कुछ पक्षियों की इस वायरस के लिए जाँच की गई है और प्रशासन ने अब सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं। हालाँकि बर्ड फ्लू एक वायरल बीमारी है जो पक्षियों को प्रभावित करती है, लेकिन यह कभी-कभी इंसानों तक भी पहुँच सकती है।
इसलिए, चिड़ियाघर के कर्मचारियों, पोल्ट्री फार्मों में काम करने वाले लोगों या संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क में आने वालों के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतना ज़रूरी है। 2016 में भी ऐसी ही एक घटना हुई थी, जब 70 से ज़्यादा पक्षियों की मौत हो गई थी।
विशेषज्ञों के अनुसार, बर्ड फ्लू का इंसानों में फैलना बेहद दुर्लभ है। यह बीमारी सीधे तौर पर खतरनाक नहीं है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। यह वायरस संक्रमित पक्षियों के शवों के संपर्क में आने, श्वसन तंत्र या मल के ज़रिए फैल सकता है। अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से संक्रमित होता है, तो इसकी शुरुआत सामान्य सर्दी-ज़ुकाम जैसी होती है। इसके लक्षणों में तेज़ बुखार, खांसी, गले में खराश, साँस लेने में तकलीफ, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द शामिल हो सकते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि सबसे प्रभावी सुरक्षा उपाय पक्षियों के सीधे संपर्क से बचना, बार-बार हाथ धोना और बीमार पक्षियों के निकट संपर्क से बचना है। हालाँकि चिड़ियाघर में स्थिति गंभीर है, लेकिन आम जनता के लिए जोखिम सीमित है। फिर भी, सभी को सावधान रहना चाहिए, सतर्क रहना चाहिए और लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सलाह लेनी चाहिए।
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